शिवराज को सत्ता की सबसे बड़ी हैट्रिक

शिवराज को सत्ता की सबसे बड़ी हैट्रिक

मध्य प्रदेश की 14वीं विधानसभा के गठन लिए शिवराज की सरकार ने सत्ता की सबसे बड़ी हैट्रिक लगा दी है। सत्ता की सबसे बड़ी हैट्रिक हम इसलिए कह रहे क्योंकि, पहली बात तो यह है कि शिवराज सिंह मध्य प्रदेश के इतिहास में लगातार तीन बार मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले पहले राजनेता बनने जा रहे हैं। दूसरी अहम बात यह कि चूंकि चार राज्यों में सर्वाधिक सीटों (230) वाला राज्य है मध्यप्रदेश, जहां 13वीं विधानसभा में भाजपा को 143 सीटें मिली थीं। प्रदेश में जीत का जादुई आंकड़ा 116 है और इस चुनाव परिणाम में 150 सीटों से अधिक पर भाजपा को जीत मिलती दिख रही है। यानी पिछले चुनाव से भी सात सीटें अधिक। तो हुई न सत्ता की सबसे बड़ी हैट्रिक, जीत की सबसे बड़ी हैट्रिक। हालांकि जीत के संपूर्ण और आधिकारिक आंकड़े आने बाकी हैं।

कोई माने या ना माने, मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत का श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ही जाता है। पार्टी ने भी उन्हें खुलकर खेलने का मौका दिया। इसके अलावा कांग्रेस की तरफ से बतौर मुख्यमंत्री किसी एक नेता को खुले तौर पर पेश नहीं करना भी शिवराज के लिए फायदे का सौदा रहा। राज्य में पार्टी की बड़ी जीत का एक अहम कारण नरेन्द्र मोदी की जनसभाएं और कार्यकर्ता सम्मेलन भी रही। शिवराज ने मोदी की जनसभा का भी बड़ी चतुराई से फायदा उठाया। शिवराज ने इन सभाओं को इस तरह से आयोजित किया गया कि कहीं भी मोदी और शिवराज एक साथ नहीं दिखे। लोग यह समझते रहे कि यह दो दिग्गजों के टकराव की वजह से हो रहा है, लेकिन यह तो सिर्फ शिवराज को ही पता था कि अगर वे मोदी से अलग सभा करते हैं तो भाजपा के दोनों हाथों में लड्डू होगा और कही भी प्रचार अभियान कमजोर नहीं पड़ेगा। इसी वजह से प्रदेश में मोदी का भरपूर उपयोग किया गया। माना जा रहा है कि महिला वोटरों के बीच शिवराज और युवा मतदाताओं में मोदी के फैक्टर ने शिवराज की जीत में घी का काम किया।

प्रदेश में विकास एक अहम मुद्दा था और भाजपा ने राज्य में विकास तो किया ही साथ ही विकास कार्यों का जमकर प्रचार भी किया। चाहे 24 घंटे बिजली को ले या फिर जननी सुरक्षा हो। पेंशन योजना हो या फिर युवाओं के रोजगार की बात, शिवराज ने जनता तक अपनी उपलब्धियों को सफलतापूर्वक पहुंचाया। लाड़लियों के लिए लोकप्रिय योजनाएं आरंभ कीं, वहीं बुजुर्गों के लिए तीर्थ दर्शन यात्रा से उन्हें जनता का बेहद समर्थन मिला। निश्चित रूप से शिवराज ने अपनी उपलब्धियों का कायदे से बखान किया और उनकी इसी अदा ने जनता का मन मोह लिया। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान शिवराज नकारात्मक राजनीति से दूर रहे।

विधानसभा चुनाव को लेकर समयबद्ध तैयारी और बेहतर प्रबंधन ने भी शिवराज और भाजपा की राह आसान कर दी। एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड मतदाता पंजीयन हुआ है। यदि देश के दूसरे राज्यों में मतदाता बढ़ने का औसत तकरीबन 10 रहा तो मध्यप्रदेश में 28 फीसदी नए मतदाता बने। जाहिर है नए मतदाता युवा हैं जो नरेंद्र मोदी से प्रभावित हुए और यह फैक्टर भाजपा के पक्ष में गया। पूरे प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर मतदाता सूची में नाम जुड़वाने का अभियान शिवराज सरकार ने शानदार तरीके से चलाया। भाजपा कार्यकर्ताओं को पार्टी का साफ निर्देश था कि अपना वोटर मतदाता सूची में जगह पाए और मतदान के दिन किसी भी हालत में मतदान जरूर करे। साथ ही जिन इलाकों में भाजपा के उम्मीदवार पिछले चुनाव में बहुत मामूली अंतर से जीते या हारे थे वहां जमीनी कार्यकर्ता सक्रिय थे और इन इलाकों के मतदाताओं की बढ़ी हुई संख्या ने बचा-खुचा काम कर दिया।

ये तो हुई शिवराज और भाजपा की चुनावी रणनीति जिसकी वजह से पार्टी ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की। एक नजर इस चुनाव में बिखरी-बिखरी कांग्रेस पर डालना भी जरूरी है जिसकी वजह से शिवराज ने जीत की सबसे बड़ी हैट्रिक लगा डाली है। सबको पता था कि जनता में भाजपा सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ नाराजगी है, यहां तक की विकास के दावे करने वाली सरकार का रिपोर्ट कार्ड भी औसत दर्जे का रहा। लेकिन कांग्रेस किसी भी मोर्चे पर भाजपा को घेरने में एकदम नाकाम रही। चुनाव जब एकदम से सिर पर आ गई तो मध्यप्रदेश कांग्रेस पहले तो नींद से जागी और फिर हड़बड़ी में प्रचार अभियान शुरू किया। ज्योतिरादित्य सिंधिया को काफी देर से और अनमने तरीके से चुनावी चेहरा बनाने से जनता में कांग्रेस को लेकर जो एक सकारात्मक माहौल बनना चाहिए था, नहीं बन पाया। ऊपर से दिग्विजय सिंह जैसे बड़बोले राजनेता को स्टार प्रचारक बनाकर कांग्रेस ने आफत मोल ले ली। चुनाव में प्रत्याशियों के चयन में भी आला नेताओं का अहंकार आड़े आया जिसका परिणाम यह हुआ कि कई जगह से कांग्रेसी बागी हुए और कांग्रेस के ही वोट काटे।

अंत में शिवराज और मप्र भाजपा की जीत की एक बड़ी वजह यह रही कि मतदाताओं में केंद्र की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार के प्रति लोगों की गहरी नाराजगी थी। मोदी और शिवराज को जब-जब मौका मिला अपनी-अपनी जनसभाओं के जरिये कांग्रेस राज के अत्याचारों से रू-ब-रू कराते रहे। बढ़ती महंगाई का मुद्दा हो या फिर लचर विदेश नीति मध्यप्रदेश की जनता ने कांग्रेस को अपनाने से इनकार कर दिया। कुल मिलाकर सबकुछ शिवराज के पक्ष में था। यहां तक कि शिवराज के सितारे भी उनकी ताजपोशी की बात को पहले ही बयां कर चुके थे। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक, शिवराज की कुंडली में गुरु का मिथुन से गोचरीय भ्रमण पंचम भाव से हो रहा है। उसकी एकादश भाव पर स्वदृष्टि व चन्द्र पर पूर्ण सप्तम दृष्टि गजकेसरी योग बना रही है। इस संयोग के आधार पर कहा जा सकता है कि शिवराज पुनः सत्तासीन हो जाएं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

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