सलामत रहे आशियाना हमारा

सलामत रहे आशियाना हमारा

एक शख्स की जिंदगी में उसका आशियाना सबसे बड़ा होता है। एक घर से ढेरों यादें जुड़ी होती है जिसकी गवाह कई पीढ़ियां बनती है। एक छत की दरकार सबको होती है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। एक मकान किसी-किसी के लिए पूरी जिंदगी की कमाई होती है। लेकिन अगर आपको अपने घर को लेकर कोई शिफ्ट करने को कहे तो फिर आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी। घर शिफ्ट का मतलब उसी घर को पूरी तरह से उठाकर दूसरी जगह पर शिफ्ट करना। आपको भले ही यह बात बकवास लगे लेकिन ऐसा राजस्थान के शिवगंज में हो रहा है।

राजस्थान के इकलौते हिल स्टेशन माउंटआबू से सटे सिरोही जिले के शिवगंज के चांदना गांव में एक व्यक्ति अपनी पिता की यादों को संजोने के लिए बिल्डिंग शिफ्टिंग तकनीक के जरिए एक मकान को मूल जगह से 500 फीट दूर शिफ्ट किया जा रहा है। इस मकान की कीमत लगभग 80 लाख रुपये है और इसे शिफ्ट करने में 20 लाख रुपये का खर्च आएगा। ऐसा करने की नौबत इसलिए आई क्योंकि सरकार ने यहां से एक नेशनल हाईवे निकालने का फैसला किया है। हैरानी की बात यह है कि जिस मकान की कीमत यानी उसका बाजार भाव 80 लाख रुपये है और बीस लाख रुपये उसे शिफ्ट करने में खर्च आ रहा है लेकिन उसका मुआवजा (कुल 9 बीघा का 81 हजार रूपये) यानि 1 बीघा के सिर्फ 9 हजार ही दिया जायेगा। अबतक एक महीना से ज्यादा हो गया है और एक महीना और इस काम में लगने की उम्मीद है

दरअसल यहां से एक हाईवे निकलना है और इसकी वजह से इस रास्ते में आनेवाले मकानों को तोड़ा जा रहा है। किसान कर्ण सिंह राव अपने पिता की यादों को जिंदगी भर के लिए संजोना चाहते हैं । वह नहीं चाहते हैं कि उनका आशियाना उनके सामने ही एक हाईवे की खातिर तोड़ा जाए। इसलिए उन्होंने बिल्डिंग शिफ्टिंग टेकनीक के जरिए मकान को दूसरी जगह ले जाने का फैसला किया है।

इस तकनीक के जरिए मकान को एक जगह से दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जाता है। कर्ण सिंह नहीं चाहते थे कि उनका मकान टूटे इसलिए उन्होंने शिफ्टिंग का रास्ता चुना जो कि बेहद खर्चीली पद्धति मानी जाती है। इनके मकान का कुल वजन 900 टन है जिसे हटाने के लिए 14 जैक लगे हुए हैं। अबतक कुल 200 से ज्यादा फीट मकान को खिसका दिया गया है। कुल मिलाकर एक साथ 10 जैकों से मकान को खींचा जाता है और मकान को कुल मिलाकर 500 फीट तक ले जाना है। सबसे खास बात यह है कि इस मकान को हटाने में जरा सी टूट-फूट नहीं होती है। इस काम को अंजाम दे रही है हरियाणा के यमुनानगर की कंपनी एमसीएमडी इंजीनियरिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड।

दरअसल यहां सरकार ने नोटिफिकेशन तो कर दिया लेकिन यहां का बाजार भाव तय ही नहीं हुआ। सरकार ने यहां 9 बीघे की कुल कीमत सिर्फ 81 हजार रुपये आंकी है जिसमें तीन कुएं भी है। मुआवजे के नाम पर एक व्यक्ति को सिर्फ 9 हजार रुपए दिए गए है। जमीन और कुआं का मुआवजा सिर्फ 81 हजार जबकि सरकार के मनरेगा कार्यक्रम के तहत एक कुएं के लिए 6 लाख रुपये खुदाई के दिए जाते है। जिस जमीन की कीमत 10 से 15 हजार रुपये बीघा आंकी गई है वहां की कीमत लाखों रुपये है।

हैरानी की बात है कि यहां से 15 किलोमीटर दूर शिवगंज में जब जमीन की कीमत 75 लाख रुपये बीघा है तो भला यहां की जमीन सिर्फ 10 हजार रुपये बीघा भला कैसे हो सकती है। कर्ण राव इस मामले को लेकर हाईकोर्ट तक गए लेकिन मजिस्ट्रेट ने समय रहते फैसला दिया ही नहीं लिहाजा उनके मामले में कोई सुनवाई हुई ही नहीं। सरकार और उसके नुमाइंदे मनमानी करते रहे जिसकी सुध लेनेवाला कोई नहीं था। उन्होंने प्रशासन के हर बड़े अधिकारी से इस ज्यादती की शिकायत की लेकिन उन्हें सिर्फ कोरा आश्वासन ही मिला और मुआवजे के नाम पर सिर्फ 9 हजार रुपये प्रति बीघा यानि 9 बीघा के 81 हजार रुपए थमाए जा रहे है। जबकि इस 9 बीघा का बाजार भाव लगभग 4 करोड और मकान का 80 लाख है।

आश्चर्य की बात यह है कि यहां 9 बीधा में चीकू, बदाम, अनार, निम्बू, पपीता, सब्जियों की खेती होती है और कृषक को कर वर्ष लाखों की आय होती है जबकि सरकारी खाते में यह जमीन बारानी बताई जाकर इस किसान को नुकसान पहुचाया गया है। किसान कर्ण सिंह राव के पिता अपने घर के टूटने की खबर से सदमे में आकर चल बसे थे। उन्हीं की यादों को संजोने के लिए कर्ण सिंह इतनी भारी भरकम रकम अदा कर मकान को शिफ्ट कर रहे हैं। उनके मकान के साथ यादें तो शिफ्ट होंगी लेकिन मकान की वहीं मजबूती रह पाएगी या नहीं यह एक सबसे बड़ा सवाल है।

(The views expressed by the author are personal)

comments powered by Disqus